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Fact Finding(Super Exclusive)खाकी के हत्या आरोपी ने पहनी खादी और अब चाहिए खाकी की सुरक्षा सीवान ,सियासत,साज़िशें और Khan ब्रदर्स

खादी पहनकर अपने बेहद स्याह और रक्जरंजित काले इतिहास को छुपाने की कवायद में कभी 50 हजार के ईनामी रहे रईस खान Khan Brothers में छोटे है। वही वर्त्तमान में सिवान के ही 3 युवकों को कुट्टी कुट्टी काटकर नदी बहाने के आरोप में इनके जेल में बंद बड़े भाई अयूब खान जरायम की दुनिया के नामवर गैंगेस्टर है। खान ब्रदर्स का क्या बिहार और पड़ोसी राज्य झारखण्ड व यूपी से लेकर ओड़ीसा और देश की राजधानी दिल्ली तक इनके जलवे रहे है। लेकिन अब सिवान की सियात के सुल्तान बनने खातिर जोर आजमाइश कर रहे पर क्या रईस खान के डार्क मैटर्स को खादी का चोला ढक पाएगा?

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Patna Live डेस्क। अपराध जगत के रास्ते बिहार की सियासत में तीन दशक पूर्व इंट्री और फिर लालू प्रसाद यादव के दुलरुवा बन बैठे मो शहाबुद्दीन अब इस दुनिया में नहीं है। लेकिन राजनीति के अपराधीकरण का इतिहास जब कभी भी याद किया जाएगा तब सूबे  में प्रमुखता से सीवान के पूर्व सांसद मरहूम मोहम्मद शहाबुद्दीन का नाम लिया जाता है और लिया जाता रहेगा। सीवान में एक बार फिर हुए तिहरा हत्याकांड व इसमें खान ब्रदर्स के नाम आने और फिर बिहार एसटीएफ के हाथों अयूब खान की गिरफ्तारी व कबूल नामे के बाद राजनीतिक तपिश बढ़ गई। साथ ही विगत दिनों संपन्न हुए MLC चुनाव के बाद से तो आमलोगों के बीच इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है कि शहाबुद्दीन के इंतकाल के बाद उनके विरासत पर खान ब्रदर्स का कब्जा होगा या गुजरे जमाने का इतिहास नीतीशराज मेें दोहराने की बात कोरी कल्पना साबित होगी।

                      लेकिन बिहार विधान परिषद की स्थानीय निकाय प्राधिकार कोटे की 24 सीटों के लिए हुए मतदान के बाद विगत 7 अप्रैल दिन गुरूवार को मतगणना के बाद परिणाम घोषित हो गया तो चुनावी कार्य संपन्न हो गया। इसमें सीवान से महागठबंधन के विनोद जायसवाल ने बड़ी जीत हासिल करते हुए अपनी जीत को दिवंगत सांसद की जीत बताया। तो वही दूसरी तरफ सत्ताधारी दल एनडीए के उम्मीदवार मनोज सिंह को तीसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा है। जबकि अपराध की दुनिया के सिरमौर रहे और अब राजनीति में कदम रखने वाले कुख्यात रईस खान ने बतौर निर्दलीय एमएलसी उम्मीदवार रेसमें दूसरा स्थान हासिल कर अपनी दमदार उपस्थित दर्ज करा दिया है। लेकिन क्या जरायम की दुनिया मे विख्यात खान ब्रदर्स के नाम से कुख्यात और खाकी के हत्या व जानलेवा हमले में मुलविज़ रहे काले इतिहास के साथ रईस खान सिवान के सुल्तान बनने की अपनी दिली ख्वाहिश को अमली जामा पहना पायेंगे? सवाल बड़ा है जवाब तलाशने की कवायद में Patna Live News की इन्वेस्टिगेशन टीम ने खान ब्रदर्स (Khan Brothers) के भूत,भविष्य और वर्त्तमान को टटोला तो कुछ बेहद सनसनीखेज खुलासे हुए है।

कौन है खान ब्रदर्स

                       हम बात करते हैं खान ब्रदर्स की। खान ब्रदर्स मतलब सिसवन थाना क्षेत्र के ग्यासपुर निवासी कमरूल हक के तीन बेटे अयुब खां रईस खा  और चांद। जरायम की दुनिया में कभी तीनों ही की समान भागीदारी रही है। लिहाजा इन्हें अपराध की दुनिया में खान ब्रदर्स के रूप में पहचान मिली। हालांकि चांद खान ने विगत कई वर्षों से अपराध से दूर रहकर सियासत में भाग्य आजमाते रहे हैं। इस दौरान खान ब्रदर्स की शहाबुद्दीन से अदावत ही रही। सीवान नगर थाना के लक्ष्मीपुर ढाले से वर्ष 2005 में 9 फरवरी को सिसवन थाना क्षेत्र के ग्यासपुर निवासी व खान ब्रदर्स के पिता कमरूल हक का अपहरण कर लिया गया था। कमरूल हक उस समय रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। वहीं इस सीट से आरजेडी के उम्मीदवार और उस समय के शहाबुद्दीन समर्थक विक्रम कुंवर उम्मीदवार थे। विधानसभा चुनावी समर में उतरे कमरूल के अपहरण मामले में शहाबुद्दीन गैंग के ध्रुव प्रसाद, मनोज दास, मनोज सिंह, सोबराती मियां, विक्रम कुंवर व अन्य आरोपित बनाए गए थे। इसमें मो. शहाबुद्दीन पर साजिश का आरोप लगाया गया था। इस घटना को आज भी सिवानवासी याद करते हैं। हालांकि नाटकीय ढंग से अपहरणकर्ताओं के चंगुल से सुरक्षित कमरूल हक बाहर निकल आए।

रईस खान के डार्क सीक्रेट्स

                          समय के साथ बदलते हालात में चांद खान के बाद रईस खान ने भी अपराध से कथित तौर पर मुँह मोड़ लिया है। हालांकि एक समय था कि कुख्यात रईस खान के अपराध का साम्राज्य राज्य से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक फैला हुआ था। जिले में दारोगा बीके यादव की हत्या से लेकर झारखंड के गोडा जिले के कार्यपालक अभियंता के अपहरण सहित 50 से अधिक संगीन अपराध में रईस वांछित रहा है। उसकी करतूतों से पुलिस महकमा परेशान रहता था। रईस पर एक समय 50 हजार का ईनाम सरकार ने घोषित कर रखा था।

                       वर्ष 2004 में रईस ने अपने साथियों के साथ मिल कर महरूम पूर्व सांसद के नजदीकी कहे जानेवाले सुरेंद्र सिंह पर जानलेवा हमला किया था।इसमें सुरेंद्र सिंह तो  किसी तरह बाल बाल बच गये,पर उनके दो साथी मारे गये। वर्ष 2002 में रईस ने पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के करीबियों में शुमार मनोज को हुसैनगंज थाने के छपिया में मार गिराया। इसके बाद कथित रूप से पूर्व सांसद के इशारे पर सीवान जेल में बंद रईस के बड़े भाई कुख्यात अयूब खान पर जेल में ही हमले की बात सामने आयी थी।

                         रईस खान का लंबा चौड़ा और बेहद दुःसाहस भरे वारदातों का इतिहास रहा है। तत्कालीन मंत्री विक्रम कुंवर उस समय पूर्व सांसद के बेहद व काफी करीबी माने जाते थे। इस अदावत में रईस ने तत्कालीन मंत्री के फुलवरिया स्थित मकान पर हरबे हथियार से लैस होकर अपने गिरोह के शूटरों के संग हमला किया, उक्त हमले एक शख्स संदीप सिंह मारा गया। इसी साल यानी वर्ष 2002 में ही पूर्व सांसद के और तीन समर्थकों की हत्या में रईस खान और उसके शूटरों का नाम सामने आया था।

दरोगा की हत्या समेत थानाध्यक्ष पर हमला

                      वही,रईस ने पुलिसवालों को भी नही बख्शा और वर्ष 2003 में चैनपुर ओपी के तत्कलीन प्रभारी दरोगा बी के यादव की हत्या, वर्ष 2002 में सिसवन थानाध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद पर रात्रि गश्त के दौरान जानलेवा हमला भी करने का मुकदमा इसके फेरहस्ती में शामिल है। वही, वर्ष 2004 में फिरौती के लिए राजकुमार प्रसाद व सोनी का अपहरण व उसका विरोध करने पर अनिल कुमार सिंह की हत्या की घटना को अंजाम दिया गया। वर्ष 2007 में जानलेवा हमला के अलावा आधा दर्जन से अधिक लूट के मामले रईस पर रहे।

                     वही,बिहार के बाहर ओडिशा राज्य के राउरकेला में व्यवसायी दंपती के अपहरण की कोशिश में चालक की हत्या हुई थी। इस कांड में ओडिशा पुलिस रईस को आरोपित बनाते हुए लम्बे समय तक तलाश कर रही थी। वही,आपको बता दे कि रईस खान जरायम की दुनिया का माहिर खिलाड़ी रहा है। साथ ही सूरा,सुंदरी और शराब का रसिया भी रहा है। जरायम की दुनिया मे 18 साल तक सक्रिय रहने के दौरान नाच गाने के शौकीन राईस के पास अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा रहा है ऐसा दावा किया जाता है।लेकिन इसकी पुष्टि तब हुई जब रईस खान वर्ष 2016 में अपने गाँव के बगीचे से अपने शूटरों के साथ गिरफ्तार हुआ।

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18 साल बाद चढ़ा पुलिस के हत्थे

                सीवान जिले के अपने गाँव ग्यासपुर से निकलकर बिहार से सटे पड़ोसी राज्यो उत्तरप्रदेश झारखण्ड, ओडिशा समेत देश की राजधानी दिल्ली तक का आतंक बन बैठे रईस ने 18 सालों तक सिवान पुलिस के साथ आंखमिचौली खेली और पचास हजार का इनामी बन गया। 28 मई 2016 को आखिरकार रईस अपने गांव ग्यासपुर में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने आया अपने साथियों के साथ हरबे हथियार संग डेरा जमाए था तब पुलिस को सूचना मिली तो पुलिस की टीम अपराधियों को गिरफ्तार करने का प्रयास किया लेकिन रईस पुलिस को देखते ही गोलीबारी करने लगा। लेकिन एसपी के नेतृत्व में गठित टीम ने अपनी रक्षा के लिए 9 राउंड गोली चलाई। फिर तो अपराधी भागने लगे। इस पर पुलिस ने रईस खां को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसके शूटर अफताब मियां को भी गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के हत्थे चढ़ा तो उसके पास से पुलिस की टीम ने दो हैंड ग्रेनेड बरामद किया।

                   तत्कालीन सिवान एसपी ने बताया था कि बरामद हैंड ग्रेनेड शक्तिशाली है। अगर रईस खान हैंड ग्रनेड का उपयोग कहीं पर करता तो काफी तबाही मचा सकता था। एसपी ने बताया था कि इस तरह के हैंड ग्रेनेड का उपयोग नक्सली भी नहीं करते। साथ ही रईस के पास से पुलिस ने अत्याधुनिक हथियार भी बरामद किया। इसमें एक रेगुलर कार्बाइन,कार्बाइन का एक मैगजीन, एक पिस्टल, 51 गोली, एक लाख 12 हजार रुपये, चार बाइक, पांच मोबाइल व दो बैग बरामद किए गए।

रईस का जखीरा AK47,SLR और कारबाईन 

Arms

                    अपने गाँव ग्यासपुर के बगीचे से इनकाउंटर के बाद पुलिस के हत्थे चढ़े रईस के कब्जे से पुलिस ने एक कार्बाइन भी बरामद किया था।बरामद कारबाईन बेहद खास थी रईस की क्योकि अमूमन जब भी वो कही आता जाता या नाच गाने की महफ़िल में शिरक़त करता था तब यही हथियार उसके शूटर्स के हाथों में अपनी सुरक्षा खातिर थमाता था। यह कारबाईन तब काफ़ी वायरल हुई जब औरतों का रसिया रईस एक महिफले जमकर नाचने वाली लड़की पर पैसे उड़ा रहा था। आप भी देखिए …

दिल्ली तीस हजारी कोर्ट में भी दर्ज है मामला

रईस खां पर दिल्ली तीस हजारी कोर्ट में भी मामला दर्ज है। उस पर नई दिल्ली थानाकांड संख्या 19/2006 दर्ज है। इसमें मारपीट, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने व हत्या का प्रयास शामिल है। इसके बाद पुलिस ने दिल्ली पुलिस के सहयोग से उसे गिरफ्तार किया, लेकिन वह तीन साल पहले जमानत पर बाहर आ गया। उस पर अभी तक सीवान, सारण, गोपालगंज जिले में 46 मामले दर्ज हैं। इसमें हत्या, अपहरण, रंगदारी, डकैती, लूट आदि के मामले शामिल है। पुलिस रईस को सरगर्मी से तलाश कर रही थी। जब सिवान पुलिस ने उसे दबोचा था।

                    जेल में रहते मुकदमो में जमानत मिलने के बाद जेल से बेल पर बाहर निकलने रईस खान ने खुद को कथित तौर पर सामाजिक कामों में मुतमइन कर लिया जैसा कि वो दावा करते है। ख़ैर,वक्त की अपनी रफ़्तार होती है। एक दिन अचानक बिहार की सियासत के कुछ बेहद कद्दावर शख्सियतों में शुमार साहब-ए-सीवान डॉ सैयद मोहम्मद शहाबुद्दीन कोरोना की चपेट में आगए और दिल्ली के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत पूर्व सांसद का पार्थिव शरीर वही दिल्ली में ही सुपुर्दे ख़ाक कर दिया गया।

                    हालात बदल चुके थे सीवान का कायद इस फ़ानी दुनिया से रुखसत हो चुका था। कई नज़रे उसकी जगह लेने की कवायद में जुटी कुछ साज़िश में जुट गई ताकि सीवान की राजनीति का सिकंदर बनकर खाली पड़ी जगह को भर सके तो कुछ कब्जाने की नीयत बांध चुके है।

                          मौका भी था दस्तूर भी है सियासत में बड़ी मुश्किल से ख़ाली जगह मिलती है। लेकिन आवाम तो अपने मरहूम कायद के लख्ते जिगर को अपने कायद के तौर पर कुबूल चुकी है। यानी ओसामा शहाब (Osama Shahab) बिंत सैयद मोहम्मद शहाबुद्दीन मरहूम सीवान की उम्मीद के नए पतवार है। तो आप समझ गए होंगे आखिर ओसामा क्यो तमाम विरोधियों के निशाने पर है।

सूबे में और विशेषकर सिवान की सियासत में साहब जब तक बावजूद रहे कोई पनपन न पाया। जमाने भर के साहब के नफरती अब इस मौके पर एक मंच पर आ गए है और धन बल और जरायम के चैंपियन रहे खान ब्रदर्स के छोटे भाई रईस खान जो कथित तौर पर सुधर चुके है जो खुद को अब बाल्मीकि बता रहा है लेकिन सिवान के सियासत को कब्जाए जाने की साज़िश का सबसे बड़ा प्यादा बनकर कैसे तमाम विरोधियों का सिरमौर बना है ये आपको अगले पार्ट में बताएंगे … तब तक अपको छोड़े जाते है रईस खान के हथियारों के ज़खीरे के खुले प्रदर्शन के वीडियो संग …

अगले पार्ट परत दर परत …
सियासी साज़िश के निशाने पर  ओसामा क्यो? कौन है वो शातिर जो पर्दे के पीछे से खेल रहा खेल ..

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