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Fact Finding-आखिर क्यों ?बेउर जेल के उपाधीक्षक रामानुज कुमार हुए निलंबित सच जान कर आपके होश उड़ जायेंगे!

आखिर क्यों बेउर जेल के उपाधीक्षक को आननफानन में पुराने मामलों में किया गया निलंबित?अचानक क्यो एक युवक को जेल से अहले सुबह PMCH लाया गया?आखिर क्यों बेउर के एक सजायाफ्ता कैदी को ताबड़तोड़ भागलपुर किया गया रवाना? क्यो सच छुपाने को मजबूर है बिहार कारा प्रशासन?

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पटना Live डेस्क। सुशासन वाले बिहार राज्य की जेलों को माफ़िया और गैंगेस्टरों को तो छोड़िये छोटे मोटे दबंग कैदी और पैसेवाले भी अपनी ऐशगाह बना लेते है। यह वो नंगी हक़ीक़त है जिससे बिहार सरकार और पुलिस भले कितना भी पर्दादारी करे पर सच यही है। जेलों में खुद को सुरक्षित रख बाहर वारदातों को अंजाम दिलाने की गैंगेस्टरों की करतूतों की कहानी कई बार और बारम्बर मीडिया के तमाम मंचो की सुर्खिया बन जाती है। यह किसी से छुपा नही है। सुदूर जिलो की क्या बात की जाए जब राजधानी पटना में स्थित बेउर केंद्रीय कारागार में अपराधियों की सल्तनत कायम हुए दशक बीत चुके है। यह हम नही कहते बल्कि समय समय पर इसका खुलासा होता रहा हैं व होता रहता है।इसी बीच गड़बड़ी के आरोप में आदर्श केंद्रीय कारा बेउर के उपाधीक्षक के निलंबन की अधिसूचना जारी की गई।

दरअसल,कारा महान‍िरीक्षक ने आदर्श केंद्रीय बेउर जेल के उपाधीक्षक रामानुज कुमार को निलंबित कर दिया है। इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी गई है। जारी अधिसूचना में कहा गया है कि पिछले दिनों जेल में की गई छापेमारी के दौरान एक दबंग विधायक के कमरे से मोबाइल मिला था। इस मामले में भी उनकी लापरवाही पाई गई थी। इसके अलावा इस वित्तीय वर्ष के लिए कैदियों के खान-पान सामग्री का बाजार कीमत उनके द्वारा मुख्यालय को नहीं बताया गया था। इस कारण काफी कम कीमत पर खाने-पीने का सामान का टेंडर ठेकेदारों द्वारा ले लिया गया था। कारा महानिरीक्षक के निरीक्षण के दौरान गेट रजिस्टर का अवलोकन भी किया गया था जिसमें पाया गया कि सेब की आपूर्ति किए बगैर ही सेब अंदर ले जाने की बातें उक्त रजिस्टार में अंकित कर दी गई थी।

रामानुज कुमार के निलम्बन का सच!

आदर्श केंद्रीय कारा बेउर के उपाधीक्षक रामानुज कुमार को अनियमितता के आरोप में निलंबित कर दिया गया।निलंबन की अधिसूचना भी जारी हो गई। साथ ही जिन कारणों का उल्लेख किया गया था वो यह इशारे दे रही थी कि कही न कही इस निलंबन की कहानी में कुछ तो कवरअप है। दरअसल,जेल का सर्वेसर्वा अधीक्षक होता है।

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ख़ैर,इसी बीच टीम पटना Live को अपने अतिविश्वस्त सूत्र से जारी निलंबन अधिसूचना के पीछे के तात्कालिक कारण के बाबत एक बेहद सनसनीखेज जानकारी हासिल हुई। चुकी सूत्र अतिविश्वस्त और बेहद सटीक जानकारी साझा करता रहा है। हम ने तय किया कि मिले इनपुट को पुनः एक बार अपने कसौटियों पर क्रॉस चेक कर लिया जाए क्योंकि मामला बेहद संगीन गम्भीर और हैवानियत भरा है। शुरुआती तफ्तीश में जब हमने कड़ियां जोड़ी शुरू की तो सूत्र द्वारा साझा की गई जानकारी पुष्ट होने लगी।

दरअसल बीते महिने की 23-24 अप्रैल की दरमियानी रात जेल के अंदर हुए एक बेहद हैवानियत भरे काण्ड को अंजाम दिया गया था जिसकों छुपाने की पुरजोर क़वायद बेउर जेल द्वारा की गई। लेकिन कहते है सच को जितना छुपाने की कोशिश होती है वो उतने ही तीव्रता से बाहर निकलता है। ठीक ऐसा ही इस बार हुआ है।

राइटर की हैवानियत ले डूबी

दरअसल,बेऊर जेल में सज़ायाफ्ता साक्षर कैदियों में से कई से बतौर राइटर काम कराया जाता है। इसी कवायद के तहत बेउर जेल में विगत 8-9 साल से हत्याकाण्ड में सज़ायाफ्ता पटना के भूतनाथ निवासी कैदी रंजीत कुमार सिंह भी विगत कुछ वर्षों से राइटर की भूमिका निभा रहा था। रंजीत सिंह जेल उपाधीक्षक का बेहद खास रहा है। यह जेल के सेक्टर 5 के वार्ड नम्बर 7 रहता रहा है। कहने वाले तो कहते है वार्ड में कौन रहेगा कौन नही रहेगा सबकुछ रंजीत के मर्जी से होता रहा है।

इसी वार्ड में एक युवक अमित (बदला हुआ नाम) जो बेउर थाना क्षेत्र के रोड़ नम्बर 8 महावीर कॉलोनी का रहने वाला है जो विगत 5-6 महिनों से विभिन्न कानूनी धाराओं के तहत जेल में निरुद्ध हैं रह रहा है। बीते महिने की 23-24 अप्रैल की दरमियानी रात रंजीत सिंह ने अमित को गलत नियत से जबारिया दबोचा लिया। युवक ने जब विरोध किया तो उसे साथ जमकर मारपीट करते हुए उसके साथ अप्राकृतिक संबंध बनाया। नतीज़तन उसका मल द्वारा फट गया और उसकी हलात खराब होने लगी।

जब पीड़ित की हलात ज्यादा खराब होने लगी तो आननफानन में जेल प्रशासन द्वारा अहले सुबह उसे PMCH भेजा गया। जहाँ ड्यूटी पर रहे डॉक्टरों द्वारा उसका चेकअप किया और फिर 2-3 टाँके लगाए। फिर वापस बेउर भेज दिया गया। युवक को जेल लाकर जेल के अंदर मौजूद अस्पताल में भेज दिया गया।

रंजीत सिंह की हैवानियत धीरे धीरे पूरे जेल में फैल गई साथ ही इस बात की जानकारी जेल प्रशासन तक भी पहुची पर चुकी मामला जेल उपाधीक्षक के चहेते से जुड़ा था सभी ने खामोशी ओढ़ ली। इधर,घटना को लेकर कैदियों के बीच आक्रोश बढ़ने लगा। यह मामला अब गभीर शक्ल अख़्तियार करने लगा।

उधर,पीड़ित के साथ हुई इस हैवानियत की जानकारी जेल से निकलकर उसके परिजनों तक जा पहुची। बेटे के साथ हुई दरिंदगी की जानकारी मिलते ही माता पिता व अन्य परिजन आक्रोशित हो गए।मामले को दबाने और आरोपी को बचाने के आरोप लगाते परिजन हंगामा करने लगे। मामला बिगड़ता देख जेल प्रशासन एक्टिव हुआ और परिजन को शान्त करने की कवायद शुरू हुई।

                    घटना के बाबत उच्चाधिकारियों को जानकरी दी गई और फिर हैवानियत करने वाले रंजीत सिंह को तुरंत भागलपुर भेजने की कागज़ी पहल की गई। फिर रंजीत को आननफानन भागलपुर रवाना करने की कवायद किया गया। लेकिन परिजन उसको संरक्षण देने वाले पर भी एक्शन की मांग पर अड़े रहे। इस का फलाफल निकला और आख़िरकार उपाधीक्षक महोदय को निलंबित कर दिया गया और फिर रंजीत को भागलपुर रुखसत कर दिया गया।

Part-2 -विक्टिम के परिजनों ने कानूनी प्रक्रिया के तहत लिया क्या एक्शन

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