Super Exclusive-“महादेवा का महाठग” जो तिहाड़ से बेउर वाया डासना जेल 500 करोड़ की ठगी कर चुका है जानिए महाठग गिरोह के शातिर “नटवरलाल” सरगना का अबतक का सच …परत दर परत
औरंगबाद से पटना फिर बैंगलुरू और फिर मुखर्जी नगर दिल्ली पहुचा और करने लगा ठगी का धंधा, हुआ गिरफ्तार पहुचा तिहाड़, मिली बेल बना महाठग
◆नीरज कुमार सिंह उर्फ हरेंद्र सिंह उर्फ उदय सिंह उर्फ़ उज्जवल और बॉस
◆ औरंगाबाद से पटना पहुचा पढ़ने खातिर और करने लगा ऐय्याशी पैसे खातिर शुरु किया गन्दा खेल,GF को लगा फिनांसली मदद करने,भंडा तब फूटा जब बना अखबार की सुर्खियों
◆ फिर बैगलुरु से MBA करने गया और फिर दिल्ली के मुखर्जी नगर पहुचा UPSC की तैयारी खातिर
◆ रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी की शुरुआत कर पहुचा तिहाड़ 4 महिने बाद बेल पर निकला और बन गया महाठग
◆ फुलवारी शरीफ का अनवर ने MBBS के नाम पर ठगी का सिखाया और बताया रास्ता
◆ अबतक अपने 2 पार्टनर्स की नृशंस हत्या
◆ ख़ाकीवालो की सरपरस्ती और जेलकर्मियों का हाथ बेउर से भी किया मोटा खेल
पटना Live डेस्क। हमने अबतक आपको बताया है कि बिहार में जेल के भीतर से इतनी बड़ी उगाही आज तक नहीं हुई होगी। जहा तक याद पड़ता है शायद ही कथित महाजंगल राज़ में भी जेल में बैठकर किसी ने शातिर या किसी गैंगेस्टर ने भी इतनी बडी उगाही नही ही की होगी। जितना बड़ा खेल नीरज सिंह एंड गैंग ने किया है। लेकिन कहते है न शातिर से भी शातिर अपराधी के पाप का घड़ा भरता है और वो गलतियां करने लगता है। वही हुआ भी। जेल में सब मैनेज था नाजायज पैसे अधिकारियों से लेकर काराकर्मियों और उन सभी पर जो वजूद रखते है पर दिल खोलकर बरसाया जाता तभी तो मोबाईल खुलेआम यूज़ होता। वार्ड में भी खूब पार्टियां होती। साहबों के घरों तक फलो की पेटियां व लिफ़ाफ़े नियमित तौर पर गुर्गे पहुचाते है। अन्य राज्यो की पुलिस आती तो पटना पुलिस के शूरमा सम्भाल लेते। समझे क्या संभालते! है। प्रोडक्शन वारेंट का तामिला नही होता होता भी तो बिहार पुलिस ही लेकर जाती कोर्ट में पेश करती और वापस बेउर के आती।
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उम्मीद करते है कि आपने पहली किस्त पढ़ ली होगी और आपको अंदाजा हो गया होगा कि आखिर केंद्रीय कारागार बेउर के बैरक से कैसे खेल रचा गया और आखिर क्यों बिहार की तमाम कारगार व जेले शातिरों और गैंगेस्टर व माफिया खातिर मुफीद हो गई है। ख़ैर बात नीरज सिंह उर्फ हरेंद्र सिंह उर्फ उदय सिंह उर्फ उज्जवल उर्फ बॉस की
कौन है शातिर नीरज सिंह
विभिन्न समाचार पत्रों और दर्ज मामलों के सरकारी कागजों पर जो लिखा है उसके अनुसार अबतक नीरज एंड कंपनी ने 7 राज्यों 23 कन्सल्टिंग फर्म खोलकर देश भर से 500 करोड से ज्यादा की ठगी की है। यह कितना शातिर है इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है कि विगत 5 सालो में इसने अपने नेटवर्क के जरिए हजारो छात्रों और उनके परिजनों से करोड़ो करोड़ रुपए की ठगी कर लिया और आराम से जेल में बैठकर भी पटना में खेल कर दिया और यहाँ भी करोड़ो की उगाही कर ली। खैर अब आप सोच रहे होंगे आखिर इसका असली नाम पता क्या है और हक़ीक़त में ये कौन है।
मूल रूप से बिहार के औरंगाबाद जिले के नबीनगर प्रखंड चरनी महादेवा गाँव के धनंजय सिंह का यह बेटा है। गाँव मे इसने अपने ठगी के पैसे से अति आलीशान घर बनाया है। जहां इसकी पत्नी अपने ससुरालियों के संग रहती है। ठगी के पैसे से इसने अपनी वाइफ व परिजनों खातिर तमाम सुख सुविधाए जमा कर रखा है। जैसा अमूमन होता है अपनी शुरुआती पढ़ाई कर इसने आगे की पढ़ाई खातिर राजधानी पटना का रुख किया। लेकिन पढ़ाई तो ये क्या करता करना ही नही था। राजधानी में यह ईजी मनी के चक्कर मे पड़ गया। एक बार लड़कीबाजी का चस्का लगा तो फिर ऐय्याशी की लत पड गई। शौक पूरे करने खातिर पैसे की जरूरत थी। पैसा चाहिए तो गलत कामो में मुलविज़ हो गया। वही दूसरी तरफ माशूकाओ की डिमांड पूरी करने खातिर लगातार गलत धन्धे में मुलविज़ रहने लगा। इसके तमाम गोरख धन्धे का भण्डाफोड़ तब हुआ जब पटना में एक बार यह रूपसपुर थाना पुलिस द्वारा एक अपार्टमेंट के एक फ्लैट से बुरी हालत में बरामद किया गया जो खबरों की सुर्खियां बन गई ..

लेकिन उक्त घटना में भी इस शातिर ने अलग ही कहानी पटना पुलिस को बताई पर आखिर सच कब तक छुपता हक़ीक़त सामने आने शुरू हुए तो यह समझ गया कि भांडा फुट जायेगा तो राजधानी के शिवपुरी के अपने ठिकाने से लापता हो गया।
बैंगलुरु से MBA किया और फिर पहुचा दिल्ली
बकौल नीरज कुमार सिंह उर्फ हरेंद्र वर्ष 2013 में बैंगलोर से इसने एमबीए किया है। फिर कथित तौर इसने दिल्ली मुखर्जी नगर में रहकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी की। UPSC एवं विभिन्न राज्यों की PCS की तैयारी के दौरान नीरज कुमार सिंह उर्फ हरेंद्र की पहचान दिल्ली के एक व्यक्ति धीरेंद्र कुमार शर्मा उर्फ सोनल सिंह से हुईं जो दिल्ली के नागलोई में रहता था। पर मूल रूप आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश का रहने वाला है से जानपहचान हुई। चुकी दोनो शातिर थे। दोनो में दोस्ती हो गई। शातिर धीरेंद्र कुमार शर्मा उर्फ सोनल लोगों को रेलवे विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी किया करता था। ठगी के पैसे से जमकर ठाटबाट से रहता था।
ठगी की शुरुआत और पहुचा तिहाड़
ऐय्याशी की लत पैसे की जरूरत नीरज उर्फ हरेंद्र ने ठगी के धंधे में शिरकत कर लिया फिर क्या था नीरज तथा धीरेंद्र कुमार शर्मा ने मिलकर लोगों से रेलवे में भर्ती कराने के नाम पर पैसा ठगना शुरू कर दिया। लेकिन जल्द ही इनकी करतूत का खुलासा हुआ और एक ठगे गए शख्स ने दोनों की शिकायत दिल्ली पुलिस से कर दी, मामला क्राइम ब्रांच के सुपुर्द किया गया। दोनों नामजद अभियुक्त को दिल्ली पुलिस द्वारा धर दबोचा गया और तिहाड़ भेज दिया गया। 4 महिने बाद तिहाड़ जेल से बेल पर निकला। 1जेल से छूटने के बाद नीरज कुमार सिंह उर्फ हरेंद्र ने मुखर्जी नगर में किराए पर लेकर PG चलाने का काम शुरू कर दिया किंतु पीजी के काम में मेहनत अधिक और आय सीमित थी। PG के काम के दौरान हरेंद्र के संपर्क में पटना (बिहार) का रहने वाला अनवर उर्फ अवसार कादरी उर्फ मसरूल उल हक आया।
मिला शातिर मसरूल उल हक और फिर ….
नीरज और अनवर की जोड़ी जम गई।दरअसल,अनवर दक्षिण भारत में एमबीबीएस के परीक्षार्थियों को ठगने के आल इंडिया नेटवर्क गैंग से जुड़ा हुआ था। ठगी के धन्धे का जानकार शातिर अनवर उर्फ अवसार कादरी अपने सूत्रों के जरिए नीट (NEET) परीक्षा में बैठने वाले परीक्षार्थियों का डाटा अपने नेटवर्क के जरिए हासिल कर लेता था। शातिर अनवर से मिलने के बाद हरेंद्र सिंह ने भी एमबीबीएस नीट परीक्षा में बैठने वाले परीक्षार्थियों के अभिभावकों को ठगने का काम शुरू कर दिया।
नीरज कुमार सिंह उर्फ हरेंद्र ने वर्ष 2018 में नोएडा सेक्टर 62 में ग्लोबल कैरियर लिमिटेड नाम की कंपनी खोली और अपनी गैंग यानी पटना निवासी समीर राय उर्फ निखिल गौरव,विकास सिंह उर्फ अभिनव पांडे,राजेश कुर्मी उर्फ प्रकाश यादव, अभिषेक आनंद उर्फ विक्रम के साथ नेटवर्क शुरू कर दिया और एमबीबीएस परीक्षा में बैठने वाले परीक्षार्थियों के अभिभावकों से एमबीबीएस एडमिशन कराने के नाम पर करोड़ो की धनराशि की ठगी की गई।
मॉडस औरेंडी-3 महीना काम करोड़ो समेट फरार
दरअसल,मास्टरमाइंड नीरज उर्फ हरेंद्र ने नोएडा सेक्टर 62 में ग्लोबल कैरियर लिमिटेड नाम की कंपनी खोली और जून-जुलाई-अगस्त 2018 में महज 3 महीने कंपनी ने ठगी का काम किया। इसके बाद यह कंपनी लोगों के पैसे लेकर चंपत हो गई।पहली बार मे इतना पैसा और वो भी महज चंद दिनों में फिर तो शातिर नीरज के मुंह खून लग गया ….
इन शातिरों की कंपनी की कार्यशैली यह थी कि यह लोग 3 महीने तक परीक्षार्थियों के परिजन व अभिभावकों को NEET के डाटा में उपलब्ध नंबरों की मदद से कॉल कर बुलाते थे। उन्हें विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन का सब्जबाग दिखाया जाता। इस काम के लिए इस गैंग विभिन्न बड़े मेडिकल कॉलेजों के एडमिशन लेटर भी तैयार करता था। कंपनी के नौ दो ग्यारह यानी भागनें से पहले अंतिम यानी आखरी के 10 दिनों में गैंग परीक्षार्थियों या अभिभावकों से पैसों की उगाही प्रारंभ कर देता था। पूरे पैसों की उगाही जैसे ही हो जाती गैंग ऑफिस बंद करके लापता हो जाता। यानी सब कुछ प्लानिंग के तहत पहले से तय होता था।
“300 करोड़ का खेल और नृशस हत्याकांड”
अगले भाग में करोड़ो करोड़ की ठगी का जोरदार खेल परत दर परत फिर शादी ब्याह डासना जेल और बेल फिर बेउर जेल .. सब कुछ नाम तारीख FIR नम्बर के साथ… साथ ही अर्णव तो कभी कोई और नाम के साथ नीरज सिंह का मियादी दानियाम निवासी ऋषि उर्फ … राजस्थान पुलिस का वांटेड….. प्रोडक्शन वारेंट पर भी नही जाकर बेउर में 2/19 में रहने वाला शातिर फर्राटेदार अंग्रेजी बोलेने वाले की वो चंद आवाजे …