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Famous Shiv Temple: काशी विश्वनाथ ही नहीं, बल्कि गोपालगंज का यह शिव मंदिर भी खास, सावन में आप भी पहुंचें

ऐतिहासिक धनेश्वरनाथ मंदिर में सावन महोत्सव की तैयारियां पूर्ण, पवित्र शिवलिंग पर 22 जुलाई से जलाभिषेक का शुरू होगा सिलसिला

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GOPALGANJ: यूपी का काशी विश्वनाथ मंदिर ही बल्कि बिहार के गोपालगंज जिले अंतर्गत बैकुंठपुर प्रखंड के सिंगासनी गांव स्थित ऐतिहासिक धनेश्वर नाथ मंदिर भी खास है। यहां सावन माह में बिहार के सभी जिलों के साथ-साथ यूपी, उत्तराखंड व पड़ोसी देश नेपाल से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस मंदिर का संबंध द्वापर युग से है। यह मंदिर गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर पूरब स्थित है। यहां सावन महोत्सव का आगाज कलश जल सह शोभा यात्रा से 22 जुलाई को किया जाएगा। इसी दिन से जलाभिषेक एवं रुद्राभिषेक का सिलसिला पवित्र शिवलिंग पर शुरू हो जाएगा।

सिंगासनी गांव स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर

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मंदिर परिसर में 19 अगस्त तक आयोजित होने वाले सावन महोत्सव को लेकर प्रशासनिक तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। मंदिर का रंग-रोगन एवं सफाई का कार्य पूरा कर लिया गया है। मंदिर के अंदर सजावट का काम भी पूर्ण हो चुका है। मंदिर के गर्भ गृह से बाहरी परिसर तक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग बैरीकेटिंग की व्यवस्था की गई है। ताकि भीड़ में महिला व पुरुष अलग-‌अलग कतार में खड़े होकर जलाभिषेक के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर सकें। मंदिर के दोनों तरफ कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसमें जिला प्रशासन के दंडाधिकारी एवं एडिशनल फोर्स कैंप करेंगें। विशेष परिस्थिति से निपटने के लिए अग्निशमन दल, एंबुलेंस सेवा एवं मेडिकल टीम भी तैनाती की गई है।

सिंगासनी गांव स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की रोस्टर ड्यूटी तैयार कर धनेश्वरनाथ मंदिर में दो शिफ्टों में सेवा देने का प्रबंध किया गया है। प्रत्येक सोमवारी एवं शुक्रवारी को मंदिर परिसर में शोभायात्रा लेकर जाने के लिए प्रशासन से लाइसेंस लेना अनिवार्य किया गया है। बिना लाइसेंस के शोभायात्रा निकालने वाले श्रद्धालुओं पर प्रशासनिक स्तर से कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। बता दें कि इस वर्ष सावन महोत्सव के दौरान पांच सोमवारी एवं चार शुक्रवारी पर यहां आस्था का सैलाब उमड़ेगा। सारण जिले के डोरीगंज स्थित गंगा नदी एवं डुमरियाघाट स्थित नारायणी नदी से जल भरकर श्रद्धालु यहां जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं।

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