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2025 का हॉटस्पॉट बनेगा बैकुंठपुर, जहां हर चुनाव में बदलती है तस्वीर

राजनीतिक उठापटक की कहानी, बैकुंठपुर का सत्तर साल का चुनावी सफर

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नीरज कुमार सिंह, गोपालगंज: बिहार की राजनीति में बैकुंठपुर विधानसभा हमेशा से उतार-चढ़ाव और अप्रत्याशित नतीजों के लिए चर्चा में रहा है। गोपालगंज (अनुसूचित जाति) लोकसभा सीट का हिस्सा यह क्षेत्र बैकुंठपुर और सिधवलिया प्रखंडों के साथ बरौली प्रखंड की आठ पंचायतों को मिलाकर बना है। नारायणी नदी की गोद में बसी बैकुंठपुर की उपजाऊ जमीन पर टिके इस इलाके की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती पर निर्भर है। धान, गेहूं और गन्ना यहां की प्रमुख फसलें हैं। बावजूद इसके, रोजगार की कमी के कारण बड़ी संख्या में युवा दिल्ली, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हैं। उनकी मेहनत से भेजी गई रकम यहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। हालांकि, बुनियादी ढांचे और शिक्षा संस्थानों की कमी आज भी इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में हर दौर में बदलते रहे नेता और नतीजे

बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में हर दौड़ में नेता और नतीजे बदलते रहे हैं। 1951 में स्थापित इस सीट पर अब तक 18 बार चुनाव हो चुके हैं। शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का दबदबा रहा और उसने पांच बार जीत दर्ज की। इसके बाद राजनीति का समीकरण बदलता गया। यहां राजद ने तीन, जनता पार्टी, जनता दल, जदयू और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने दो-दो, जबकि भाजपा और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने एक-एक बार जीत हासिल की। यहां के मतदाता हर बार अलग रुख अपनाते रहे हैं। 1977 से 1990 तक ब्रज किशोर नारायण सिंह उर्फ बाबू साहेब का दबदबा रहा, जिन्होंने चार बार जीत दर्ज की। वे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही वित्त मंत्री व खाद्य आपूर्ति मंत्री के रूप में राज्य का प्रतिनिधित्व किए। इसके बाद वर्ष 1995 में लाल बाबू प्रसाद यादव, वर्ष 2000 में मंजीत कुमार सिंह (समता पार्टी), वर्ष 2005 में लगातार दो चुनावों में देवदत्त प्रसाद यादव (राजद) व 2010 में फिर मंजीत कुमार सिंह (जदयू) और 2015 में भाजपा के मिथिलेश तिवारी विजयी रहे। 2020 में राजद के प्रेम शंकर प्रसाद ने भाजपा से सीट छीन ली।

2020 का रोमांचक रहा मुकाबला

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यहां वर्ष 2020 का विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले के रूप में इतिहास में दर्ज हुआ। राजद के प्रेम शंकर प्रसाद ने 67,807 वोट यानी 37.01 प्रतिशत पाकर भाजपा प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी को 11,113 मतों से हराया। भाजपा को 56,694 यानी 30.95 प्रतिशत और निर्दलीय मंजीत कुमार सिंह को 43,354 यानी 23.67 प्रतिशत वोट मिले। तब कुल 3,17,459 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें लगभग 18 प्रतिशत मुस्लिम और 10 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता थे। 2024 तक यह संख्या बढ़कर 3,35,737 हो गई, हालांकि 3,881 मतदाता पलायन कर चुके थे।

2024 लोकसभा में बदला समीकरण

हालिया लोकसभा चुनाव में बैकुंठपुर ने एक बार फिर राजनीतिक पलटी खाई। यहां एनडीए घटक जदयू ने 16,964 वोटों की बढ़त बनाई, जिससे राजद की पिछली बढ़त ध्वस्त हो गई। इस परिणाम ने संकेत दिया कि 2025 का विधानसभा चुनाव और भी दिलचस्प हो सकता है।

2025 में हॉटस्पॉट बनने की ओर बैकुंठपुर

बैकुंठपुर का इतिहास बताता है कि यह सीट कभी भी किसी पार्टी की स्थायी नहीं रही। बार-बार बदलते जनादेश इस क्षेत्र को बिहार की राजनीति का केंद्रबिंदु बना देते हैं। 2025 का विधानसभा चुनाव न केवल तीखी टक्कर देगा, बल्कि यह तय करेगा कि यहां की राजनीति किस करवट लेगी।

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