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गोपालगंज: डेंगू के डंक से लोग बेहाल, चूक हुई तो स्थिति हो सकती भयावह

पिछले वर्ष करीब डेढ़ दर्जन लोगों की डेंगू से जा चुकी है जान, एक साल बाद भी इलाज के लिए नहीं हो सकी सुदृढ व्यवस्था

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गोपालगंज: जिले में डेंगू के डंक से लोग बेहाल हैं। इसके साथ ही वायरल बुखार का सितम भी लगातार जारी है। मंगलवार को मीरगंज नगर में डेंगू के करीब आधे दर्जन मरीज पाए गए। इससे पीड़ित लोगों के पास नगर के सरकारी अस्पताल से लेकर निजी अस्पतालों में भी इलाज के लिए विकल्प नहीं है। इसका मुख्य कारण व्यवस्था में चूक है। अधिकतर मरीज इलाज के लिए गोरखपुर का रुख कर रहे हैं। चिकित्सकों का मानना है कि डेंगू में प्लेटलेट्स बुरी तरह गिर जाता है। इससे मरीजों की मौत भी हो जाती है। लेकिन अगर प्लेटलेट्स चढ़ाने की व्यवस्था जिले या नगर में हो जाए तो डेंगू का इलाज बड़े ही आसानी से किया जा सकता है। अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सक रमेश कुमार का कहना है कि हमारे यहां ब्लड चढ़ाने तक की व्यवस्था नहीं है। उसके लिए मरीजों को जिले में जाना होगा।

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वहीं प्लेट्लेट्स के लिए जिले से बाहर जाना होगा। यही कारण है कि इलाज के लिए डेंगू के मरीज गोरखपुर पहुंच रहे हैं। पिछले साल व्यवस्था में चूक के कारण डेंगू से करीब डेढ़ दर्जन लोग मीरगंज नगर में अपनी जान गवा दिए थे। सरकार एवं जिला प्रशासन डेंगू से बचाव के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है। परंतु एक वर्ष में इलाज के लिए सुदृढ व्यवस्था क्यों नहीं हुई यह अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है। नगर क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं द्वारा साल में कई बार ब्लड डोनेट शिविर आयोजित की जाती है। अच्छे खासे मात्रा में नगर से ब्लड एकत्रित कर ब्लड बैंक को दिया जाता है। फिर भी डेंगू के इलाज के लिए नगर अनुमंडल क्या जिले से बाहर जाना पड़ता है। आखिर क्यों बचाव के लिए तमाम उपाय नगर में किये जाने के बाद भी डेंगू अपना पैर पसार रहा।

लोगों की मानें तो नगर में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव सिर्फ वीडियोग्राफी भर के लिए होती है। फॉगिंग सड़कों पर किया जाता है। इस वर्ष फॉगिंग की शुरुआत अप्रैल महीने से कर दी गई थी। फॉगिंग के बाद सड़कों पर पैदा हुए मच्छर लोगों के घरों में दुबक जाते हैं। इससे डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी पैदा हो जाती है। इस वजह से लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। लोगों की मानें तो प्रशासन द्वारा डेंगू के इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। डेंगू का बुखार होने के बाद शरीर में सफेद रक्त कण की कमी शुरू हो जाती है। उसकी पूर्ति ब्लड के द्वारा शरीर में की जाती है। इसकी व्यवस्था नगर अनुमंडल या जिले में नहीं है। पिछले वर्ष हुई डेंगू से मौत के बाद भी प्रशासन का ध्यान इस तरफ आकृष्ट नहीं हुआ। अगर व्यवस्था में चूक हुई तो स्थिति भयावह हो सकती है।

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